sonam wangchuk net worth biography –
1. पूरा ना म (Full Name) | सोनम वांगचुक |
2. अन्य ना म (Other Name) | स्नो वारियर |
3. पि ता का ना म (Father’s Name) | सोनम वांग्याल |
4. मा ता का ना म (Mother’s Name) | त्सेरिंग वांग्मो |
5. भा इयों के ना म (Brothers Name) | नहीं पता |
6. बहन का ना म (Sister’s Name) | नहीं पता |
7. पत्नी/पति का नाम BF / GF
|
नहीं पता |
8. बच्चे | नहीं पता |
9. पेशा (Profession) | इंजीनियरिंग , इनोवेटर |
10. रा जनी ति क पा र्टी (Political Party) | कोई नहीं |
11. जन्म ति थि (Birth Date) | 1 सितम्बर 1966 |
12. उम्र (Age) | 57 साल |
13. जन्म स्था न (Birth Place) | उलेय तोक्पो, लदाख, इंडिया |
14. रा ष्ट्री यता (Nationality) | इंडियन |
15. गृहनगर (Hometown) | लदाख |
16. धर्म (Religion) | बुद्धिज्म |
17. जा ति (Caste) | नहीं पता |
18. ब्लड ग्रुप (Blood Group) | नहीं पता |
19. पता (Address) | लदाख |
20. वैवा हि क स्थि ति (Marital Status) | अविवाहित |
21. शैक्षणि क यो ग्यता (Educational Qualification) | बी. टेक. मैकेनिकल इंजीनियरिंग मास्टर इन earthen आर्किटेक्चर |
22. school | विशेष केंद्रीय विद्यालय दिल्ली |
23. collage/University | नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी, श्री नगर, क्रेटेररे स्कूल ऑफ़ आर्किटेक्चर, ग्रेनोबल, फ्रांस |
24. रा शि (Zodiac Sign / Sun Sign) | नहीं पता |
25. कद (Height) | 5 फ़ीट 8 इंच |
26. वजन (Weight) | 55 किल्लो ग्राम |
27. आंखों का रंग (Eye Colour) | डार्क ब्राउन |
28. बा लों का रंग ( Hair Colour) | ब्लैक |
29. Hobbies | इनोवेशन |
30. famous | वैज्ञानिक |
31. honors | सस्टेनेबल आर्किटेक्चर के लिए ग्लोबल अवार्ड, etc. |
32. favorite book | नहीं पता |
33. favorite foods | लद्दाख फूड |
34. Current position | लद्दाख में अनशन कर रहे हैं / |
35. वेतन (Salary) | नहीं पता |
36. नेट वर्थ (Net Worth) | लगभग एक करोड़ से 5 करोड़ तक, अंदाज है |
37. का र संग्रह (Car Collection) | नहीं पता |
38. Twitter follower | 431.2K Followers |
39. Facebook follower | 1.7M followers |
40. Instagram follower | 757K followers |
41. You tube subscriber | 1.5M subscribers |
42. Website | ilivesimply.org |
43. email | sonam.wangchuk@hial.edu.in |
44. phone/mobile | नहीं पता |
sonam wangchuk net worth biography – सोनम वांगचुक नेट वर्थ एंड बायोग्राफी इन हिंदी –
- वांगचुक जन्म 1966 में लद्दाख के लेह जिले के अलची के पास हुआ था
- सोनम वांगचुक 9 साल की उम्र तक उनका दाखिला किसी स्कूल में नहीं कराया गया था
- क्योंकि उनके गांव में कोई स्कूल ही नहीं था ना ही उनके गांव के आसपास कोई स्कूल था
- उनकी मां ने उन्हें उसे उम्र तक सभी बुनियादी बातें अपनी मातृभाषा में ही सिखाई थी
- उनके पिता सोनम वांगयाल एक राजनेता थे जो बाद में राज्य सरकार में मंत्री बने
- 9 साल की उम्र में उन्हें श्रीनगर ले जाया गया और श्रीनगर के एक स्कूल में उनका दाखिला कराया गया
- वह अन्य छात्रों की तुलना में अलग दिखता थे इसलिए उससे ऐसी भाषा में संबोधित किया जाता था जिसे वह नहीं समझते थे
- जिसके कारण उसकी प्रतिक्रियाशीलता की कमी के कारण उन्हें मूर्ख समझ लिया जाता था
- वह इस दौर को अपने जीवन के सबसे अंधकार में दौड़ के रूप में याद करते हैं
- 1977 में वह अकेले ही भाग कर दिल्ली आ गए
- जहां उन्होंने विशेष केंद्रीय विद्यालय में स्कूल के प्रिंसिपल के सामने अपना मामला रखा
- सोनम वांगचुक ने बी. टेक. पूरा किया
- 1987 में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान श्रीनगरसे मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिग्री हासिल की
- इंजीनियरिंग की पसंद पर अपने पिता के साथ मतभेद के कारण उन्हें अपनी शिक्षा का खर्च खुद उठाना पड़ा
- वह 2011 में फ्रांस के ग्रैनोबल में क्रिकेट स्कूल आफ आर्किटेक्चर में अर्थेन आर्किटेक्चर में 2 साल के उच्च अध्ययन के लिए भी गए
- 1988 में अपनी स्नातक स्तर की पढ़ाई के बाद वंचुक अपने भाई और पांच साथियों के साथ स्टूडेंट एजुकेशनल एंड कल्चरल मूवमेंट आफ लद्दाख की शुरुआत की
- सस्पोल में सरकारी हाई स्कूल में स्कूल सुधारो के प्रयोग के बाद secmol माल ने सरकारी शिक्षा विभाग और गांव की आबादी के सहयोग से ऑपरेशन न्यू होप शुरू किया
- जून 1993 से अगस्त 2005 तक वांगचुक लद्दाख की एकमात्र प्रिंट पत्रिका लाडगस में लोंग की स्थापना की और संस्थापक के रूप में भी काम किया
- 2002 में अन्य एनजीओ प्रमुखों के साथ, उन्होंने लद्दाख स्वच्छ नेटवर्क की स्थापना की
- जो लद्दाख एनजीओ का एक नेटवर्क है
- 2005 तक इसकी कार्यकारी समिति में सचिन के रूप में कार्य किया
- उन्हें लद्दाख हील की मसौदा समिति में नियुक्त किया गया था
- परिषद सरकार के विजन दस्तावेज लद्दाख 2025 और 2004 में शिक्षा और पर्यटन पर नीति तैयार करने का काम सोपा गया
- दस्तावेज को औपचारिक रूप से 2005 से भारत के प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह द्वारा लांच किया गया था
- 2005 में वांगचुक थे भारत सरकार के मानव संसाधन विकास मंत्रालय में प्रारंभिक शिक्षक के लिए राष्ट्रीय गवर्निंग काउंसलिंग में सदस्य के रूप में नियुक्त किया गया
- 2007 से 2010 तक वांगचुक ने एम एस के लिए एक शिक्षा सलाहकार के रूप में काम किया, जो एक डेनिस एन जी ओ है जो शिक्षा सुधारो के लिए शिक्षा मंत्रालय का समर्थन करने के लिए काम कर रहा है
- 2013 के अंत में वांगचुक ने आइस स्तूप का एक प्रोटोटाइप बनाया और आविष्कार किया जो एक कृत्रिम ग्लेशियर है जो सर्दियों के दौरान बर्बाद हो रहे जलधारा के पानी को विशाल बर्फ के शंकु या स्तूप के रूप में संग्रहित करता है
- उन्हें 2013 में जम्मू और कश्मीर राज्य स्कूल शिक्षा बोर्ड में नियुक्त किया गया था
- 2014 में उन्हें जम्मू और कश्मीर राज्य शिक्षा नीति और विजन दस्तावेज तैयार करने के लिए विशेषज्ञ पैनल में नियुक्त किया गया था
- 2015 से सोनम ने हिमालयन इंस्टीट्यूट आफ अल्टरनेटिव्स की स्थापना पर काम करना शुरू कर दिया
- उन्हें इस बात की चिंता है कि कैसे अधिकांश विश्वविद्यालय विशेष कर पहाड़ों की विश्वविद्यालय जीवन की वास्तविकताओं के लिए अप्रासंगिक हो गए हैं
- 2016 में सोनम वांगचुक ने फॉर्म स्टेज लद्दाख नामक एक परियोजना शुरू की थी
- जो पर्यटकों को माता और मध्यम आयु वर्ग की महिलाओं द्वारा संचालित लद्दाख के स्थानीय परिवारों के साथ रहने की सुविधा प्रदान करती है
- इस परियोजना का आधिकारिक उद्घाटन 18 जून 2016 को चेतसांग रिनपोछे द्वारा किया गया था
- वांगचुक लद्दाख सिक्किम और नेपाल जैसे पर्वती क्षेत्र में कई निष्क्रिय और मिट्टी की इमारत की डिजाइन और निर्माण की देखरेख में मदद कर रहे हैं ताकि ऊर्जा बचत सिद्धांतों को बड़े पैमाने पर लागू किया जा सके यहां तक की -30 सेल्सियस सर्दियों में भी उनका सोर ऊर्जा से संचालित स्कूल जो की जमी हुई धरती से बना है छात्रों को गर्म रखता है
- वांग चुके नेतृत्व में, SECMOL ने जुलाई 2016 में फ्रांस के ल्योन में अर्थ आर्किटेक्चर पर12वीं विश्व कांग्रेस में सर्वश्रेष्ठ इमारत के लिए अंतरराष्ट्रीय टेरा पुरस्कार जीता है
- धरती से गिरी बड़ी इमारत SECMOL में स्थित है
- परिसर को निष्क्रिय और वास्तुकला के सिद्धांतों पर सरल कम लागत वाली पारंपरिक तकनीकों का उपयोग करके बनाया गया था
- इमारत में छात्रों और अन्य कक्षाओं के लिए कई कमरों के साथ-साथ एक बड़ा सौर गर्म शिक्षक हाल शामिल है
- जनवरी 2014 में वांगचुक ने की आइस स्तूप नामक एक परियोजना शुरू की
- उनका उद्देश्य अप्रैल और मैं के महत्वपूर्ण रोपण महीना में प्राकृतिक हिमनदी पिघलने वाले पानी की प्रभाव शुरू होने से पहले लद्दाख के किसानों के सामने आने वाले जल संकट का समाधान खोजना था
- 2014 में फरवरी के अंत तक उन्होंने सफलतापूर्वक एक बर्फ के स्तूप का दो मंजिला प्रोटोटाइप बनाया था
- जिसमें लगभग डेढ़ लाख लीटर शीतकालीन धारा का पानी संग्रहित किया जा सकता था, जो उसे समय कोई नहीं चाहता था
- 2015 में जब लद्दाख को भूस्खलन के कारण संकट का सामना करना पड़ा जिससे जांच कर मेंफुक लाल नदी अवरुद्ध हो गई और 15 किलो मीटर लंबी झील बन गई कर निकली आबादी के लिए एक बड़ा खतरा बन गई चुकाने झील और पानी को निकालने के लिए साइफन तकनीक का उपयोग करने का प्रस्ताव रखा जैसा की योजना बनाई जा रही थी झील को नष्ट करने केबजे किनारो को सुरक्षित रूप से कटने के लिए जेट कटाव। हालांकि उनकी सलाह को नजर अंदाज कर दिया गया और ब्लास्टिंग का काम जारी रखा गया 7 में 2015 को झील अंततः अचानक बाढ़ में बदल गई जिसे 12 फूलों और कई खेतों को नष्ट कर दिया
- वांछित 2016 में उच्च ऊंचाई वाली ग्लेशियर जिलो पर आपदा शमन के लिए आयुष स्तूप तकनीक लागू करना शुरू किया उन्हें सिक्किम सरकार द्वारा अपने राज्य की एक और खतरनाक झील के लिए साइफन तकनीक लागू करने के लिए आमंत्रित किया गया था
- सितंबर 2016 में उन्होंने उत्तर पश्चिम सिक्किम में दक्षिण लहोनक झील पर तीन सप्ताह के अभियान का नेतृत्व किया, जिसे पिछले कुछ वर्षों से खतरनाक घोषित किया गया था। उनकी टीम ने बारिश और बर्फबारी के बीच झील पर दो सप्ताह तक तेरा डाला और अन्य उपाय किए जाने तक झील को सुरक्षितस्थल तक निकलने के लिए शार्इफोनिग प्रणाली का पहला चरण स्थापित किया।
- 2016 के अंत में इस विचार को स्विस आल्प्स में अधिकारियों ने समर्थन देना शुरू कर दिया
- वांगचुक को स्विट्जरलैंड के एंगाडाइन घाटी में एक नगर पालिका पोटेंसीना के अध्यक्ष ने अपने शीतकालीन पर्यटक आकर्षणों को बढ़ाने के लिए बर्फ के स्तूप बनाने के लिए आमंत्रित किया था
- अक्टूबर 2016 में वांछित और उनकी टीम स्विस आल्प्स गए और स्विस भागीदारों के साथ मिलकर यूरोप का पहला की स्तूप बनाना शुरू किया
- फरवरी 2018 में लद्दाख के युवा स्थानीय मूर्तिकारों और कलाकारों के एक समूह ने वास्तविक 10 फीट ऊंचा बर्फ का स्तूप बनाया या अद्भुत मूर्ति पूरी तरह से बर्फ से बनी है और इस परियोजना को पूरा करने में उन्हें 25 दिन की कड़ी मेहनत और समर्पण लगा जो चीज इससे टीम के लिए अधिक विशेष और चुनौती पूर्ण बनती है वह है वह विषम परिस्थितियों जी चीन में उन्होंने काम किया हैक्योंकि स्तूप एक अन्य विशाल बर्फ टावर(बर्फ स्तूप कृत्रिम ग्लेशियर) के अंदर स्थित था, इसलिए उन्हें कम से कम 12 डिग्री सेल्सियस के बहुत कम तापमान में काम करना पड़ता है।
- 2013 में लद्दाख के छात्र समुदाय के बार-बार अनुरोध पर वांग चुकाने स्थाई शिक्षा पर्यावरण और अर्थव्यवस्था के लिए काम करने के उद्देश्य से न्यू लद्दाख मूवमेंट(एनएलएम) , एक सामाजिक अभियान और ग्रीन पार्टी के लद्दाख संस्करण को लॉन्च करने में मदद की
- इसका उद्देश्य लद्दाख की वृद्धि और विकास के लिए सभी स्थानीय राजनीतिक नेताओं को एक बैनर के नीचे एक जुट करना भी था
- आखिरकार सदस्यों ने इसे एक गैर राजनीतिक सामाजिक आंदोलन बनाने का निर्णय लिया
- जून 2020 में भारत चीन सीमा जड़ों के जवाब में सोनम वांगचुक ने भारतीयों से ‘वॉलेट पावर’ का उपयोग करने और चीनी उत्पादन का बहिष्कार करने की अपील की
- इस अपील को प्रमुख मीडिया गणों ने कर किया और विभिन्न मशहूर हस्तियों ने इसका समर्थन किया
- 15 जून 2020 को गलवान घाटी झड़प के बाद पूरे भारत में चीनी सामानों की बहिष्कार का आवाहन किया गया
- 26 जनवरी 2023 को लद्दाख के नाजुक स्थिति की तंत्र पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को उजागर करने और भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत इसकी सुरक्षा की मांग करने के लिए, वांगचुक खारदुंगला दर्रे पर उपवास पर जाने का प्रयास किया।
- अधिकारियों ने उन्हें घर में नजर बंद करके उनकी आवाज आई पर रोक लगाकर साथ ही लोगों को उनसे मिलने से रोक कर खारदुंगला जाने से रोक दिया।
- पुलिस ने आरोपी से इनकार करते हुए कहा कि उन्हें -40 डिग्री सेल्सियस से कम तापमानउपवास के लिए अनुपयुक्त होने का हवाना देते हुए खारदुंगला दर्रे मैं प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी गई थी
- उन्होंने उनका समर्थन करने वाले उनके कुछ छात्रों को भी हिरासत में लिया
- एच आई ए एल परिसर वांग चुकाने एच आई ए एल परिसर से अपना विरोध और उपवाचारी रखा
- मार्च 2024 में उन्होंने केंद्र शासित प्रदेश के लिए संवैधानिक सुरक्षा उपायों और औद्योगिक और खनन लॉबी से लद्दाख की सुरक्षा की मांग के लिए आमरण शुरू किया।
- सोनम वांगचुकअभी भी लद्दाख में उपवास अनशन कर रहे हैं
चलो कुछ उनके कहे हुए शब्द को उन्हीं के कुछ बोले हुए शब्द को सुनते हैं पढ़ते हैं देखते हैं – sonam wangchuk net worth
Jhule ya Jhule Jhule on the sixth of March I will be sitting on fast and to death which will happen in stages of 21 days each extended as necessary 21 days because this happens to be the longest fast that Mahatma Gandhi kept during the Independence movement of India and I want to follow the same peaceful part that Mahatma Gandhi Follow where we in flick pain on ourselves where we don’t inflict pain on anybody else we don’t take hostess anybody else we take ourselves in flick pain or not this so that our Government and policymakers notice our pain and in time so I am Sonam VANGCHUK to reaching out to the people of the world from the Indian Himalayas please call me in Ladakh at 350 M 11500 feet why am I reaching out to you today or planet is going through Shiv challenges environmental challenges global warming climate change and nose challenge can be seen more than in the Himalayas then on the Tibetan plateau where we are right now you my favourite about the challenges faced by our Tibetan brothers on this plateau in JK County where will be blindly and generally environment is exploited of the Himalayas in Ladakh we are starting to face similar challenge Amazing very fast causing drought and flash flood alternatingly very soon many of us will be climate recipe and we must protect this to protect this part of the Himalayas The Tibetan plateau which is open called it is a responsibility not just of us in Ladakh but the entire population of planet Earth is region is the third for a very good reason The largest reservoir of freshwater after the north and the South Pole more than 50000 glaciers abong year these creatures of the Hindu million people directly or in directly which is 14th of the population of the planet so you can imagine how sensitivity now to Help save the Himalaya people you the people in the big cities of the world can contribute in a big way firstly of the two demand appeal that I always make to the people in the world first is that you please leave simple life in your big city because your life style consumer .
भारत माता की भारत माता की अपने हमारे देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी से आज लद्दाख के हजारों लोगों के साथ मिलकर लद्दाख की मां की व्यथा मन की बात आपको सुनना चाहूंगा यहां अगर आप देखेंगे तो एक छोटे प्रदेश जहां लाख डेढ़ लाख तो ले में और लाख डेढ़ लाख की कारगिल में है उसमें से 20-30 हजार लोग यहां पर मिलकर आपसे एक गुहार लगा रहे हैं आपसे एक मां की बात सुन रहे हैं तो वह हम आपके साथ मिलकर सुनेंगे सबसे पहले सबसे पहले तो लद्दाख के लोग आपके बहुत-बहुत आभारी हैं और रहेंगे या अपने आप की सरकार ने आज से 4 साल पहले लद्दाख की सालों दशकोंपुरानी बहुत-बहुत धन्यवाद करते हैं और करते रहेंगेऔर उसके बाद क्योंकि मैं पर्यावरण के क्षेत्र में काम करता हूं एनवायरमेंट एक्टिविटीज हूं तो मैं आपका बहुत बड़ा प्रशंसक हूं जो आपने सिर्फ भारत में नहीं दुनिया में भी एक रास्ता दिखाया भारत के आदर्शों का सादगी बड़े जीवन का मिशन लाइफ लाइफस्टाइल फॉर एनवायरमेंट जिस पर भी मैं सालों से बोलना आया हूं आपने इस दुनिया तक पहुंचा कि जब तक देश के दुनिया के लोग सादा जीवन नहीं बिताएंगे यह जो दुनिया का पर्यावरण है वह उसे सह नहीं पाएगा इसके हम सब आभारी हैं हम आपका अभिनंदन करते हैं इस बात के लिएऔर हम इसके भी आभारी हैं कि जब आपने लगा को ड्यूटी घोषित किया तो इस पर्वतीय प्रदेश इस संवेदनशील पर्वतीय प्रदेश के संरक्षण के लिए जब 370 नहीं रहा तो अपने लद्दाख के लोगों को भरोसा दिलाया आपकी सरकार के मंत्रियों नेनेताओं ने यहां आकर दिल्ली से बार-बार हमें आश्वासन दिया कि लद्दाख को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 244 के छठवें शेड्यूल में संरक्षित किया जाएगा यह भारत के नेशनल कमिशन फॉर एससी एसटी के मिनट्स मेंछपे हुए हैं यह आश्वासन यहां पोलो ग्राउंड से दिया गया यह आज क्वेश्चनट्राइबल जनजातीय मंत्री से न्याय के लॉ मिनिस्ट्री से होम मिनिस्ट्री से हर तरफ से हमें यह आश्वासन मिला और फिर उसके बाद आपकी सरकार ने आपके पार्टी ने एक बार नहीं दो बार हमें यह आश्वासनइलेक्शंस में चुनाव मेंइस तरह के मेनिफेस्टो घोषणा पत्र के जरिए भी दिया यह मैं आपको फिर याद दिलाना चाहूंगा और धन्यवाद करना चाहूंगा लगा के इन तमाम लोगों की तरफ सेअपने संसदीय चुनाव में नंबर एक नंबर दो नंबर तीन पर रखा है डिक्लेरेशन आफ लद्दाख अंडर सिक्स शेड्यूल ऑफ़ इंडियन कांस्टीट्यूशन ट्राइबल एरिया डिक्लेरेशनयह पार्लियामेंट्री इलेक्शन में आश्वासन दिया गया था 2019 में और फिर 2020 में जब लगा के ले जिले में यहां का सबसे प्रतिष्ठित चुनाव हुआ पर्वतीय काउंसिल का हिल काउंसिल का तो फिर पहले नंबर पर इस मेनिफेस्टो में यही बूंद यही मुद्दा है कांस्टीट्यूशनल सेफगार्ड पर लद्दाख अंडर सिक्स शेड्यूल आफ इंडियन कांस्टीट्यूशनतो यह आपने हमारे साथ वादे किए आश्वासन दिए इन सब का हम फिर धन्यवाद कहना चाहते हैं क्योंकि हम सोचते हैं कि देर हुई है तीन-चार सालों का मगर अंधेर नहीं है हमारा यह यकीन है तो हमारा यकीन यह है कि जब आपने यह आश्वासन दिएतो आप करेंगे मगर दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि इन घोषणाओं के बाद एक सन्नाटा सा छा गया कुछ महीनो के लिए फिर एक साल के लिए फिर नकारात्मक संकेत मिलने लगे कि यह नहीं मिलने वाला है फिर यहां ले में तो जो शिक्षक धूल शब्द को उच्चारण करें उन पर व्यस्त किया होने लगे बच्चों को पकड़ा जाने लगाऔर हमने सोचा कि शायदजिन नेताओं पर हमारा इतना भरोसा थावह नहीं रहा फिलहाल के महीना में हमें यह पता चला कि ऐसा भी नहीं है केंद्र सरकार में केंद्र के नेता मंत्री गृह मंत्री सब लगा के हितैषी हैं भला चाहते हैं देना चाहते हैं हमें फिर यह पर्दा जो हमारे बीच में केंद्र के साथ आ गया था वह पर्दाफाश होते हुए नजर आया और बताइए चलने लगा कि कुछ औद्योगिक गुट इंडस्ट्रियल लोबिस जैसे मीनिंग खनन जिनको लगाकर यह वीडियो में पहाड़ों में पर्वतों में पैसा दिखता है जो कल की नहीं सोचते आज की लूटमचाने में लगे हैं हिमाचल में उत्तरांचल में पूरे हिमालय में जिसका खामियाजा यहां के लोग हिमालय में भुगत रहे हैं आप देख रहे हैं हिमाचल प्रदेश में क्या हो रहा है यह अंदर ढूंढ विकास के नाम पर जो उद्योग कातांता लगा हुआ है यही आप उत्तराखंड में देख रहे हैं अब लद्दाख के दरवाजे पर दस्तक देने जैसे ही उट घोषणा हुई तो ऐसे गानों ने ऐसे घुटनों ने लोबिस ने यहां अपना सर्वेक्षण करना शुरू किया और हमारे जो नेता हमारी आवाज को ले जाने के लिए चुने गए थे लद्दाख से वह हमसे ज्यादा उनके असर में आए और उनके साथ मिलकर वह लगा को बेचने लगे खरीद प्रोप करने लगेऔर वह अब तक यह संदेश देने वालों की यह संरक्षण यहां किसी को नहीं चाहिए यह संरक्षण यह शिक्षक यह दो-चार लोगों की कुछ पॉलीटिकल पार्टी कुछ अपोजिशन की मांग है इस पर आप ध्यान नहीं दीजिएगा यह रखिएगाक्योंकि उन्हें पता था कि अगर लद्दाख पर सिख शेड्यूल आ जाए तो फिर यह उद्योग मनमानी नहीं कर पाएंगे खिलवाड़ नहीं कर पाएंगे तो मरोड़ जो पर्वतों का हुआ है हर जगह वह सब यहां नहीं हो पाएगा लद्दाख बचा रहेगा और वह यह नहीं चाहते थे तो यह गलत संकेत देने लगेतो जब उन्होंने यह कहा कि यह कुछ ही लोगों की मांग है तब लगा के लोगों ने आपको जवाब संदेश देने के लिए अपने पैरों से वोट देने के लिए आज यहां पर हजारों दस्यों हजारों में लोग जमा होकर इस ठंड में यह जताने के लिए आए हैं कि हम सब इस मांग के साथ हैं आप इस बहकावे में ना आए जो कुछ मतलबी लोग वेस्टेड इंटरेस्ट आप तक पहुंचा रहे हैं हमें उम्मीद है कि आप इनकी आवाज सुनेंगेभारत माता की भारत माता की भारत माता की। यह जो मसला है लद्दाख के संरक्षण का अब यह सिर्फ इंडक्शन की पर्यावरण की भी बात नहीं रहीसच्चाई की लड़ाई भी बन गई हैभारत में हर चीज पर्याप्त है बहुत है किसी चीज की कमी नहीं है कोयला है तेल है लोहा हैहर चीज है मगर आज जो सबसे कम पड़ रहा है वह है भरोसा ट्रस्टभरोसे की कमी डिफिसिट का ट्रस्ट भारत बहुत बड़े स्तर पर दो-चार है।
सोनम वांगचुक को दिए गए पुरस्कार- sonam wangchuk net worth
- 2018 में उनको मिला था पुरस्कार रमन मैग्सेसे पुरस्कार
- 2018 में सिंबा ओसिस इंटरनेशनल द्वारा मानत दी. लिट
- 2018 में आईआईटी मंडी द्वारा हिमालय क्षेत्र के प्रख्यात प्रौद्योगिकी विद पुरस्कार मिला
- 2017 में इंडियन का कलेक्टिव एक्शन सम्मान पुरस्कार मिला, सैन फ्रांसिस्को, सी ए
- 2017 में जीक्यू मैन ऑफ़ द ईयर अवार्ड सोशल एंटरप्रेन्योर्स ऑफ़ द ईयर
- 2017 में सतत वास्तुकला के लिए वैश्विक पुरस्कार
- 2017 में जम्मू कश्मीर सरकार द्वारा उत्कृष्ट पर्यावरण विद् के लिए राज्य पुरस्कार
- 2016 में इंटरप्राइजेज के लिए रोलेक्स पुरस्कार
- 2016 में सर्वोत्तम पृथ्वी निर्माण के लिए अंतरराष्ट्रीय टेरा पुरस्कार
- 2014 में यूनेस्को चेयर अर्थेन आर्किटेक्चर, क्रेटर्रे फ्रांस द्वारा
- 2008 में सीएनएन-आईबीएन टीवी द्वारा रियल हीरोज अवार्ड
- 2004 में सेंचुरी एशिया द्वारा ग्रीन टीचर अवार्ड
- 2002 में सामाजिक उद्यमिता के लिए अशोक फैलोशिप अशोक यूएसए द्वारा
- 2001 में द वीक द्वारा मैन ऑफ द ईयर
- 1996 में जम्मू और कश्मीर में शैक्षिक सुधार के लिए राज्यपाल पदक
- और भी कई अन्य बहुत ही मूल्यवान सम्मान द्वारा आपको सम्मानित किया गया है
इस पूरे लेख का क्रेडिट जाता है सोनम वांगचुक को और गूगल और यूट्यूब को, धन्यवाद
इस लेख में बहुत सारी त्रुटियां हो सकती हैं जिसके लिए हम आपसे क्षमा मांगते हैं
आपका बहुत धन्यवाद !
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#SAVELADAKH #SAVEHIMALAYAS
Sonam Wangchuk appeals to the world to live simply,
starts #ClimateFast of 21 days (extendable till death)
Please watch full video in English here:https://t.co/XHkcIdQQ7b#ILiveSimply #MissionLiFE #ClimateActionNow pic.twitter.com/KQi5EMro9X— Sonam Wangchuk (@Wangchuk66) March 6, 2024